CBSE Class 10 Hindi A Unseen Passages अपठित गद्यांश || Course || Class 10th

CBSE Class 10 Hindi A Unseen Passages अपठित गद्यांश अपठित बोध अपठित बोध ‘अपठित’ शब्द अंग्रेजी भाषा के शब्द ‘unseen’ का समानार्थी है। इस शब्द की रचना ‘

अपठित गद्यांश (Class 10 Apathit Gadyansh)

नवीनतम परीक्षा प्रश्न-पत्र के अनुसार अभ्यास हेतु सामग्री

परिचय: अपठित शब्द का अर्थ है- जो कभी पढ़ा न गया हो। अर्थात अपठित गद्यांश वे गद्यांश हैं जिनको छात्रों ने पहले कभी अपनी पाठ्यपुस्तक में पढ़ा नहीं है। अपठित गद्यांश देकर उस पर भाव-बोध संबंधी प्रश्न पूछे जाते हैं। इन प्रश्नों के उत्तर छात्रों को उसी गद्यांश के आधार पर देने होते हैं।

ध्यान दें: उत्तर देते समय यह कोशिश होनी चाहिए कि उत्तर में गद्यांश के वाक्यों को जैसा का तैसा न उतारा जाए बल्कि उसमें कही गई बात को अपने शब्दों में व्यक्त किया जाए।

अपठित गद्यांश हल करते समय ध्यान देने योग्य बातें:

  • दिए गए गद्यांश का एक-दो बार मौन वाचन करें और उसे गहराई से समझने का प्रयास करें।
  • पहला कदम: सभी प्रश्नों को एक-एक करके पढ़ें और प्रत्येक प्रश्न के संभावित उत्तर को गद्यांश में तुरंत रेखांकित कर लें।
  • उत्तर लेखन: लेखक द्वारा कही गई मूल बात को सरल और स्पष्ट भाषा में छोटे-छोटे वाक्यों में व्यक्त करें।
  • शीर्षक: यदि शीर्षक देने की आवश्यकता हो, तो रफ़ कागज पर दो-तीन शीर्षक सोचें और जो सर्वाधिक उपयुक्त लगे, उसे चुनें।
  • MCQ प्रश्न: सारे विकल्पों को ध्यान से पढ़कर ही सबसे उचित विकल्प पर निशान लगाएँ।

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गद्यांश 1: जनसंख्या और समृद्धि
उन्नीसवीं शताब्दी से पहले मानव और पशु दोनों की आबादी भोजन की उपलब्धता तथा प्राकृतिक विपदाओं आदि के कारण सीमित रहती थी। कालांतर में जब औद्योगिक क्रांति के कारण मानव सभ्यता की समृद्धि में भारी वृद्धि हुई तब उसके परिणामस्वरूप कई पश्चिमी देश ऐसी बाधाओं से लगभग अनिवार्य रूप से मुक्त हो गए। इससे वैज्ञानिकों ने अंदाजा लगाया कि अब मानव जनसंख्या विस्फोटक रूप से बढ़ सकती है। परंतु इन देशों में परिवारों का औसत आकार घटने लगा था और जल्दी ही समृद्धि और प्रजनन के बीच एक उलटा संबंध प्रकाश में आ गया था। जीव विज्ञानियों ने मानव समाज की तुलना जानवरों की दुनिया से कर इस संबंध को समझाने की कोशिश की और कहा कि ऐसे जानवर जिनके अधिक बच्चे होते हैं वे अधिकतर प्रतिकूल वातावरण में रहते हैं और ये वातावरण प्रायः उनके लिए प्राकृतिक खतरों से भरे रहते हैं। चूंकि इनकी संतानों के जीवित रहने की संभावना कम होती है इसलिए कई संतानें पैदा करने से यह संभावना बढ़ जाती है कि उनमें से कम-से-कम एक या दो जीवित रहेंगी। इसके विपरीत, जिन जानवरों के बच्चे कम होते हैं वे स्थिर और अनुकूल वातावरण में रहते हैं। ठीक इसी प्रकार यदि समृद्ध वातावरण में रहने वाले लोग केवल कुछ ही बच्चे पैदा करते हैं तो उनके ये कम बच्चे उन बच्चों को पछाड़ देंगे जिनके परिवार इतने समृद्ध नहीं थे तथा इनकी आपस की प्रतिस्पर्धा भी कम होगी। इस सिद्धांत के आलोचकों का तर्क है कि पशु और मानव व्यवहार की तुलना नहीं की जा सकती है। वे इसके बजाए यह तर्क देते हैं कि सामाजिक दृष्टिकोण में परिवर्तन इस घटना को समझाने के लिए पर्याप्त है। श्रम आश्रित परिवारों में बच्चों की बड़ी संख्या एक वरदान के समान होती है। वे जल्दी काम कर परिवार की आय बढ़ाते हैं। जैसे-जैसे समाज समृद्ध होता जाता है वैसे-वैसे बच्चे जीवन के लगभग पहले 25-30 सालों तक शिक्षा ग्रहण करते हैं। जीवन के प्रारंभिक वर्षों में उर्वरता अधिक होती है तथा देर से विवाह के कारण संतानों की संख्या कम हो जाने की संभावना बनी रहती है। [CBSE Sample Paper 2020-21]

लघुत्तरीय प्रश्न (1-2 अंक)

  1. अधिक संतानें किस स्थिति में पैदा की जाती हैं और क्यों?
  2. Assertion (A): समृद्ध समाजों में परिवारों का आकार छोटा होता है。
    Reason (R): क्योंकि समृद्ध परिवारों में बच्चे शिक्षा के लिए लंबे समय तक निर्भर रहते हैं。
    (क) A और R दोनों सही हैं तथा R, A की सही व्याख्या है।
    (ख) A और R दोनों सही हैं परंतु R, A की सही व्याख्या नहीं है。
    (ग) A सही है पर R गलत है。
    (घ) A गलत है पर R सही है।
  3. Assertion (A): अधिक संतानें होना एक वरदान माना जाता है。
    Reason (R): क्योंकि बच्चे प्रारंभिक अवस्था से ही शिक्षा में लग जाते हैं。
    (क) A और R दोनों सही हैं तथा R, A की सही व्याख्या है。
    (ख) A और R दोनों सही हैं परंतु R, A की सही व्याख्या नहीं है。
    (ग) A सही है पर R गलत है。
    (घ) A गलत है पर R सही है।
  4. औद्योगिक क्रांति के कारण जनसंख्या विस्फोट की संभावना क्यों बनी?
  5. सीमित बच्चों वाले सिद्धांत के आलोचकों के मतानुसार सामाजिक दृष्टिकोण में क्या परिवर्तन आया?

बहुविकल्पीय प्रश्न

  1. निम्नलिखित में से कौन-सा ऊपर लिखित गद्यांश का प्राथमिक उद्देश्य है?
    (क) मानव परिवारों के आकार के संबंध में दिए गए उस स्पष्टीकरण की आलोचना करना जो पूरी तरह से जानवरों की दुनिया से ली गई टिप्पणियों पर आधारित है।
    (ख) औद्योगिक क्रांति के बाद अपेक्षित जनसंख्या विस्फोट न होने के कारणों की विवेचना करना।
    (ग) औ‌द्योगिक क्रांति से पहले और बाद में पर्यावरणीय प्रतिबंधों और सामाजिक दृष्टिकोणों से परिवार का आकार कैसे प्रभावित हुआ, इसका अंतर्संबंध दर्शाना।
    (घ) परिवार का आकार बढ़ी हुई समृद्धि के साथ घटता है — इस तथ्य को समझने के लिए दो वैकल्पिक सिद्धांत प्रस्तुत करना।
  2. गद्यांश के अनुसार निम्नलिखित में से कौन-सा जनसंख्या विस्फोट के विषय में सत्य है?
    (क) पश्चिमी देशों में इसलिए जनसंख्या विस्फोट नहीं हुआ क्योंकि औद्योगीकरण से प्राप्त समृद्धि ने परिवारों को बच्चों की शिक्षा की विस्तारित अवधि को वहन करने का सामर्थ्य प्रदान किया था।
    (ख) जनसंख्या विस्फोट की यह घटना विश्व के उन क्षेत्रों तक सीमित है जहाँ औद्योगिक क्रांति नहीं हुई है।
    (ग) श्रम आधारित अर्थव्यवस्था में केवल उद्योग के आधार पर ही परिवार का आकार निर्भर करता है।
    (घ) जनसंख्या विस्फोट की भविष्यवाणी पश्चिमी देशों में औद्योगिक क्रांति के समय जीवित कुछ लोगों द्वारा की गई थी।
  3. अंतिम अनुच्छेद निम्नलिखित में से कौन-सा कार्य करता है?
    (क) यह पहले अनुच्छेद में वर्णित घटना के लिए एक वैकल्पिक स्पष्टीकरण प्रस्तुत करता है।
    (ख) यह दूसरे अनुच्छेद में प्रस्तुत स्पष्टीकरण की आलोचना करता है।
    (ग) यह वर्णन करता है कि समाज के समृद्ध होने के साथ सामाजिक दृष्टिकोण कैसे बदलते हैं।
    (घ) यह दूसरे अनुच्छेद में प्रस्तुत घटना की व्याख्या करता है।
  4. गद्यांश में निम्नलिखित में से किसका उल्लेख औद्योगिक देशों में औसत परिवार का आकार हाल ही में गिरने के एक संभावित कारण के रूप में नहीं किया गया है?
    (क) शिक्षा की विस्तारित अवधि।
    (ख) पहले की अपेक्षा देरी से विवाह करना।
    (ग) बदला हुआ सामाजिक दृष्टिकोण।
    (घ) औद्योगिक अर्थव्यवस्थाओं में मजदूरों की बढ़ती माँग।
  5. गद्यांश में दी गई कौन-सी जानकारी बताती है कि निम्नलिखित में से किस जानवर के कई बच्चे होने की संभावना है?
    (क) एक विशाल शाकाहारी जो घास के मैदानों में रहता है और अपनी संतानों की भरसक सुरक्षा करता है।
    (ख) एक सर्वभक्षी जिसकी आबादी कई छोटे द्वीपों तक सीमित है और जिसे मानव अतिक्रमण से खतरा है।
    (ग) एक मांसाहारी जिसका कोई प्राकृतिक शिकारी नहीं है, लेकिन उसे भोजन की आपूर्ति बनाए रखने के लिए लंबी दूरी तय करनी पड़ती है।
    (घ) एक ऐसा जीव जो मैदानों और झीलों में कई प्राणियों का शिकार बनता है।
  6. Assertion (A): औद्योगिक क्रांति के बाद मानव समाज की समृद्धि में वृद्धि हुई।
    Reason (R): औद्योगीकरण से समाज प्राकृतिक विपदाओं से पूरी तरह मुक्त हो गया।
    (क) A और R दोनों सही हैं तथा R, A की सही व्याख्या है。
    (ख) A और R दोनों सही हैं परंतु R, A की सही व्याख्या नहीं है。
    (ग) A सही है पर R गलत है。
    (घ) A गलत है पर R सही है。
  7. Assertion (A): प्रजनन और समृद्धि के बीच उल्टा संबंध देखा गया।
    Reason (R): समृद्ध परिवारों में विवाह देर से होता है और शिक्षा अधिक समय लेती है।
    (क) A और R दोनों सही हैं तथा R, A की सही व्याख्या है。
    (ख) A और R दोनों सही हैं परंतु R, A की सही व्याख्या नहीं है。
    (ग) A सही है पर R गलत है。
    (घ) A गलत है पर R सही है。
उत्तर देखें (Click to Show Answers)

लघुत्तरीय प्रश्न:

  1. प्रतिकूल वातावरण में रहने वाले जानवरों के बच्चों के जीवित रहने की संभावना कम होती है, इसलिए वे अधिक संतानें पैदा करते हैं।
  2. (क) A और R दोनों सही हैं तथा R, A की सही व्याख्या है।
  3. (ग) A सही है पर R गलत है।
  4. औद्योगिक क्रांति के कारण कई देश प्राकृतिक बाधाओं से मुक्त हो गए, जिससे यह माना गया कि आबादी तेजी से बढ़ सकती है।
  5. जैसे-जैसे समाज समृद्ध होता गया, बच्चों को अधिक समय तक शिक्षा की आवश्यकता पड़ने लगी और कम संतानें एक आदर्श बन गईं।

बहुविकल्पीय प्रश्न:

  1. (घ)
  2. (घ)
  3. (क)
  4. (घ)
  5. (घ)
  6. (ग)
  7. (क)
गद्यांश 2: विज्ञान-शिक्षण
विज्ञान-शिक्षण के पक्षधरों ने कल्पना की थी कि शिक्षा में इसकी शुरुआत पारंपरिकता, कृत्रिमता और पिछड़ेपन को दूर करेगी। यह सोच पुराने समय से चली आ रही ‘तथ्य प्रचुर पाठ्यचर्या’, जिसके अंतर्गत आलोचना, चुनौती, सृजनात्मकता व विवेचनात्मकता का अभाव था, आदि के कारण पैदा हो रही थी। मानवतावादियों ने सोचा था कि वैज्ञानिक पद्धति मध्यकालीन मतवाद के अंधविश्वासों को जड़ से मिटा देगी। किंतु हमारे शिक्षकों ने रासायनिक प्रतिक्रियाओं की समझ को भी प्रेमचंद की कहानियों की तरह केवल पढ़ा व रटाकर उन्हें नीरस बना दिया। शिक्षा में विज्ञान-शिक्षण सम्मिलित करने के लिए यह तर्क दिया गया था कि इससे बच्चे विज्ञान की खोजों से परिचित हो सकेंगे तथा अपने वास्तविक जीवन में घट रही घटनाओं के बारे में कुछ सीखेंगे। वे वैज्ञानिक विधि का अध्ययन कर तार्किक रूप से कैसे सोचना है, के कौशल में पारंगत होंगे। इन उद्देश्यों में से केवल पहले ही में एक सीमित सफलता मिली है। दूसरे व तीसरे में व्यावहारिक रूप से बच्चे कुछ भी नहीं प्राप्त कर पा रहे हैं। अधिकतर बच्चों से भौतिकी और रसायन विज्ञान के तथ्यों के बारे में कुछ जानने की उम्मीद की जा सकती है, लेकिन ये शायद ही जानते हों कि उनका कंप्यूटर अथवा कार का इंजन कैसे कार्य करता है अथवा क्यों उनको माता जी सब्जी पकाने के लिए उसे छोटे टुकड़ों में काटती हैं। जबकि वैज्ञानिक पद्धति में रुचि रखने वाले किसी भी उज्जवल लड़के को ये बातें सहज रूप से ही ज्ञात हो जाती हैं। वैज्ञानिक पद्धति की शिक्षा अधिकांश विद्यालयों में भली प्रकार से नहीं दी जा रही है। दरअसल शिक्षकों ने अपनी सुविधा और परीक्षा-केंद्रित सोच के कारण यह सुनिश्चित कर लिया है कि छात्र वैज्ञानिक पद्धति न सीखकर ठीक इसका उलटा सीखें, अर्थात वे जो बताएँ उस पर आँख मूँदकर विश्वास करें और पूछे जाने पर उसे जस-का-तस परीक्षा में लिख दें। वैज्ञानिक पद्धति को आत्मसात करने के लिए लंबे व्यक्तिगत अनुभव तथा परिश्रम व धैर्य पर आधारित वैज्ञानिक मूल्यों की आवश्यकता होती है। और जब तक इसे संभव बनाने के लिए शैक्षिक या सामाजिक प्रणालियों को नहीं बदला जाएगा, वैज्ञानिक तकनीक में सक्षम केवल कुछ बच्चे ही सामने आएँगे तथा इन तकनीकों को आगे विकसित करने वालों की संख्या इसका भी अंश मात्र ही होगी।

प्रश्न और उत्तर

  1. शिक्षकों ने रासायनिक प्रतिक्रियाओं को किसके समान बना दिया और क्यों?
  2. Assertion (A): बच्चों में तार्किक सोच विकसित करना विज्ञान-शिक्षा का उद्देश्य है।
    Reason (R): क्योंकि विज्ञान शिक्षण से बच्चे अपने जीवन की घटनाओं को समझने लगते हैं।
    (क) A और R दोनों सही हैं तथा R, A की सही व्याख्या है।
  3. Assertion (A): अधिकतर बच्चे वैज्ञानिक पद्धति को व्यावहारिक रूप से आत्मसात नहीं कर पाते।
    Reason (R): शिक्षक केवल रटने और परीक्षा के दृष्टिकोण से पढ़ाते हैं।
    (क) A और R दोनों सही हैं तथा R, A की सही व्याख्या है।
  4. लेखक के अनुसार विज्ञान की पढ़ाई का व्यावहारिक लाभ बच्चों को क्यों नहीं मिल पा रहा है?
  5. वैज्ञानिक पद्धति को आत्मसात करने के लिए किन बातों की आवश्यकता है?

बहुविकल्पीय प्रश्न

  1. लेखक का तात्पर्य है कि शिक्षकों ने—
    (क) विज्ञान शिक्षा को लागू करने के प्रयासों को सफल बनाया है।
    (ख) विज्ञान शिक्षा को लागू करने के प्रयासों को विफल किया है।
  2. स्कूल शिक्षा में विज्ञान शिक्षण के प्रति लेखक का क्या रवैया है?
    (घ) नकारात्मक
  3. विज्ञान-शिक्षण के पक्षधरों का मानना था कि विज्ञान-शिक्षण—
    (घ) उपर्युक्त सभी को दूर करेगा।
  4. लेखक वैज्ञानिक पद्धति को लागू करने में विफलता के लिए निम्नलिखित में से किस कारक को सबसे अधिक जिम्मेदार ठहराता है?
    (क) शिक्षक
  5. यदि लेखक वर्तमान समय में आकर विज्ञान शिक्षण का प्रभाव सुनिश्चित करना चाहे तो निम्नलिखित में से किस प्रश्न के उत्तर में दिलचस्पी लेगा?
    (ग) क्या छात्र अपने ज्ञान को तार्किक रूप से लागू कर सकते हैं?
  6. Assertion (A): शिक्षकों ने विज्ञान को भी रटने और याद करने योग्य विषय बना दिया है।
    Reason (R): क्योंकि शिक्षकों ने छात्रों को परीक्षा में नंबर लाने हेतु पढ़ाना प्राथमिकता बना लिया है।
    (क) A और R दोनों सही हैं तथा R, A की सही व्याख्या है।
  7. Assertion (A): वैज्ञानिक सोच विकसित करना शिक्षा का मूल उद्देश्य है।
    Reason (R): केवल तथ्यों को रटना ही शिक्षा की प्राथमिकता होनी चाहिए।
    (ग) A सही है पर R गलत है।
उत्तर देखें (Click to Show Answers)

लघुत्तरीय प्रश्न:

  1. शिक्षकों ने रासायनिक प्रक्रियाओं को प्रेमचंद की कहानियों की तरह नीरस बना दिया है क्योंकि वे केवल रटाकर पढ़ाते हैं।
  2. (क) A और R दोनों सही हैं तथा R, A की सही व्याख्या है।
  3. (क) A और R दोनों सही हैं तथा R, A की सही व्याख्या है।
  4. क्योंकि शिक्षक परीक्षा-केंद्रित पढ़ाई पर जोर देते हैं और बच्चों को वास्तविक जीवन से जोड़ने वाली वैज्ञानिक पद्धति सिखाने का प्रयास नहीं करते।
  5. व्यक्तिगत अनुभव, परिश्रम, धैर्य तथा वैज्ञानिक मूल्यों को अपनाना आवश्यक है।

बहुविकल्पीय प्रश्न:

  1. (ख)
  2. (घ)
  3. (घ)
  4. (क)
  5. (ग)
  6. (क)
  7. (ग)
गद्यांश 3: लोकतंत्र और नागरिक जिम्मेदारी
लोकतंत्र के मूलभूत तत्व को समझा नहीं गया है और इसलिए लोग समझते हैं कि सब कुछ सरकार कर देगी, हमारी कोई जिम्मेदारी नहीं है। लोगों में अपनी पहल से जिम्मेदारी उठाने और निभाने का संस्कार विकसित नहीं हो पाया है। फलस्वरूप देश की विशाल मानव-शक्ति अभी खर्राटे लेती पड़ी है और देश की पूँजी उपयोगी बनने के बदले आज बोझ बन बैठी है। लेकिन उसे नींद से झकझोर कर जागृत करना है। किसी भी देश को महान बनाते हैं, उसमें रहने वाले लोग। लेकिन अभी हमारे देश के नागरिक अपनी जिम्मेदारी से बचते रहे हैं। चाहे सड़क पर चलने की बात हो अथवा साफ-सफाई की बातें हों, जहाँ-तहाँ हम लोगों को गंदगी फैलाते और बेतरतीब ढंग से वाहन चलाते देख सकते हैं। फिर चाहते हैं कि सब कुछ सरकार ठीक कर दे। सरकार ने बहुत सारे कार्य किए हैं, इसे अस्वीकार नहीं किया जा सकता है। वैज्ञानिक प्रयोगशालाएँ खोली हैं, विशाल बाँध बनवाए हैं, फौलाद के कारखाने खोले हैं आदि-आदि बहुत सारे काम सरकार के द्वारा हुए हैं। पर अभी करोड़ों लोगों को कार्य में प्रेरित नहीं किया जा सका है। वास्तव में होना तो यह चाहिए कि लोग अपनी सूझ-बूझ के साथ अपनी आंतरिक शक्ति के बल पर खड़े हों और अपने पास जो कुछ साधन सामग्री हो, उसे लेकर कुछ करना शुरू कर दें और फिर सरकार उसमें आवश्यक मदद करे। उदाहरण के लिए, गाँव वाले बड़ी-बड़ी पंचवर्षीय योजनाएँ नहीं समझ सकेंगे, पर वे लोग यह बात जरूर समझ सकेंगे कि अपने गाँव में कहाँ कुआँ चाहिए, कहाँ सिंचाई की जरूरत है, कहाँ पुल की आवश्यकता है। बाहर के लोग इन सब बातों से अनभिज्ञ होते हैं।

अभ्यास प्रश्न

(प्रश्नों के लिए कृपया ऊपर दिए गए पाठ को ध्यान से पढ़ें)

उत्तर देखें (Click to Show Answers)

लघुत्तरीय प्रश्न:

  1. देश की विशाल मानव-शक्ति खर्राटे लेती पड़ी है और पूँजी उपयोगी बनने के बजाय बोझ बन गई है।
  2. (क) A और R दोनों सही हैं तथा R, A की सही व्याख्या है।
  3. (क) A और R दोनों सही हैं तथा R, A की सही व्याख्या है।
  4. लोगों को अपनी सूझ-बूझ और आंतरिक शक्ति के बल पर उपलब्ध संसाधनों से कार्य प्रारंभ करना चाहिए, सरकार को केवल आवश्यक सहयोग देना चाहिए।
  5. ग्रामीण यह तो समझ सकते हैं कि उनके गाँव में कहाँ कुआँ, पुल या सिंचाई की आवश्यकता है, लेकिन वे पंचवर्षीय योजनाएँ नहीं समझ सकते।

बहुविकल्पीय प्रश्न:

  1. (क) कर्तव्य-पालन
  2. (ख) वहाँ के निवासियों पर
  3. (ग) वाहन चालकों को सुधारा है।
  4. (क) गाँव से जुड़ी समस्याओं के निदान में ग्रामीणों की भूमिका को नकारना
  5. (घ) जिम्मेदारियों के प्रति सचेत करना
  6. (घ) A गलत है पर R सही है।
  7. (क) A और R दोनों सही हैं तथा R, A की सही व्याख्या है।
गद्यांश 4: राखीगढ़ी - पुरातत्व
हरियाणा के पुरातत्व विभाग द्वारा किए गए अब तक के शोध और खुदाई के अनुसार लगभग 5500 हेक्टेयर में फैली यह राजधानी ईसा से लगभग 3300 वर्ष पूर्व मौजूद थी। इन प्रमाणों के आधार पर यह तो तय हो गया है कि राखीगढ़ी की स्थापना उससे भी सैकड़ों वर्ष पूर्व हो चुकी थी। अब तक यही माना जाता रहा है कि इस समय पाकिस्तान में स्थित हड़प्पा और मोहनजोदड़ो ही सिंधुकालीन सभ्यता के मुख्य नगर थे। राखीगढ़ी गाँव में खुदाई और शोध का काम रुक-रुककर चल रहा है। हिसार का यह गाँव दिल्ली से मात्र 150 किलोमीटर की दूरी पर है। पहली बार यहाँ 1963 में खुदाई हुई थी और तब इसे सिंधु-सरस्वती सभ्यता का सबसे बड़ा नगर माना गया। उस समय के शोधार्थियों ने सप्रमाण घोषणाएँ की थीं कि यह नगर मोहनजोदड़ो और हड़प्पा से भी बड़ा रहा होगा। अब सभी शोध विशेषज्ञ इस बात पर सहमत हैं कि राखीगढ़ी भारत-पाकिस्तान और अफगानिस्तान का आकार और आबादी की दृष्टि से सबसे बड़ा शहर था। प्राप्त विवरणों के अनुसार समुचित रूप से नियोजित इस शहर की सभी सड़कें 1.92 मीटर चौड़ी थीं। यह चौड़ाई कालीबंगा की सड़कों से भी ज्यादा है। एक ऐसा बर्तन भी मिला है जो सोने और चाँदी की परतों से ढका है। इसी स्थल पर एक ‘फाउंड्री’ के भी चिह्न मिले हैं जहाँ संभवतः सोना ढाला जाता होगा। इसके अलावा टैराकोटा से बनी असंख्य प्रतिमाएँ, ताँबे के बर्तन और एक भट्ठी के अवशेष भी मिले हैं। मई 2012 में ‘ग्लोबल हैरिटेज फंड’ ने इसे एशिया के दस ऐसे विरासत स्थलों की सूची में शामिल किया है जिनके नष्ट हो जाने का खतरा है। राखीगढ़ी का पुरातात्विक महत्व विशिष्ट है। इस समय यह क्षेत्र पूरे विश्व के पुरातत्व विशेषज्ञों की दिलचस्पी और जिज्ञासा का केंद्र बना हुआ है। यहाँ बहुत से काम बकाया हैं, जो अवशेष मिले हैं उनका समुचित अध्ययन अभी शेष है। उत्खनन का काम अब भी अधूरा है।
उत्तर देखें (Click to Show Answers)

लघुत्तरीय प्रश्न:

  1. राखीगढ़ी से सोने-चाँदी की परत वाला बर्तन, फाउंड्री के चिह्न, टैराकोटा प्रतिमाएँ, ताँबे के बर्तन और एक भट्ठी के अवशेष प्राप्त हुए हैं।
  2. (क) A और R दोनों सही हैं तथा R, A की सही व्याख्या है।
  3. (ग) A सही है पर R गलत है।
  4. क्योंकि विशेषज्ञों के अनुसार राखीगढ़ी का क्षेत्रफल और संरचना दोनों मोहनजोदड़ो और हड़प्पा से बड़े हैं।
  5. क्योंकि राखीगढ़ी अब तक की सबसे बड़ी सिंधु-सरस्वती सभ्यता का नगर माना जा रहा है और यहाँ का अध्ययन अधूरा है।

बहुविकल्पीय प्रश्न:

  1. (ख) राखीगढ़ी
  2. (ग) शहर नियोजित था।
  3. (क) इसके नष्ट हो जाने का खतरा है।
  4. (ख) राखीगढ़ी का पुरातात्विक महत्व विशिष्ट है।
  5. (क) राखीगढ़ी: एक सभ्यता की संभावना
  6. (क) A और R दोनों सही हैं तथा R, A की सही व्याख्या है।
  7. (क) A और R दोनों सही हैं तथा R, A की सही व्याख्या है।
गद्यांश 5: शिक्षा और समाज
भारत में आज भी अनेक क्षेत्रों में ऐसे लोग हैं जो शिक्षा से वंचित हैं। विशेष रूप से ग्रामीण और पिछड़े इलाकों में यह स्थिति अधिक गंभीर है। शिक्षा केवल ज्ञान प्राप्त करने का साधन नहीं है, बल्कि यह सामाजिक बदलाव और व्यक्ति की आत्मनिर्भरता का प्रमुख उपकरण भी है। जब कोई व्यक्ति शिक्षित होता है तो वह न केवल अपने जीवन को बेहतर बनाता है, बल्कि समाज को भी एक नई दिशा देता है। इसके विपरीत, अशिक्षा व्यक्ति को अंधविश्वास, रूढ़ियों और सामाजिक कुरीतियों के दलदल में फँसाए रखती है। हमारे संविधान में शिक्षा को मूल अधिकार माना गया है, फिर भी यह अधिकार हर नागरिक तक पहुँच नहीं सका है। सरकार द्वारा अनेक योजनाएँ चलाई गई हैं जैसे सर्व शिक्षा अभियान, मध्याह्न भोजन योजना आदि, लेकिन इन योजनाओं का लाभ हर जरूरतमंद तक नहीं पहुँच पाया है। इसका कारण जागरूकता की कमी, संसाधनों की अनुपलब्धता और कभी-कभी प्रशासनिक लापरवाही भी है। बच्चों की शिक्षा के साथ-साथ महिलाओं की शिक्षा भी अत्यंत आवश्यक है। यदि एक पुरुष शिक्षित होता है तो वह केवल स्वयं को शिक्षित करता है, किंतु जब एक स्त्री शिक्षित होती है तो वह पूरे परिवार को शिक्षित बनाती है। महिलाओं को शिक्षित कर समाज को सशक्त बनाया जा सकता है। इसके लिए जरूरी है कि हम बालिकाओं की पढ़ाई को प्राथमिकता दें और उन्हें स्कूल भेजने में कोई कोताही न करें। समय आ गया है कि हम शिक्षा को केवल सरकारी जिम्मेदारी मानने के बजाय अपनी भी जिम्मेदारी समझें। हर नागरिक को यह प्रयास करना चाहिए कि उसके आस-पास कोई बच्चा या बच्ची शिक्षा से वंचित न रहे। जब समाज का हर व्यक्ति इस दिशा में योगदान देगा, तभी भारत सच्चे अर्थों में शिक्षित और प्रगतिशील राष्ट्र बन सकेगा।
उत्तर देखें (Click to Show Answers)

लघुत्तरीय प्रश्न:

  1. अशिक्षा व्यक्ति को अंधविश्वास, रूढ़ियों और सामाजिक कुरीतियों के दलदल में बाँधे रखती है।
  2. (क) A और R दोनों सही हैं और R, A की सही व्याख्या करता है।
  3. (घ) A गलत है, R सही है।
  4. जागरूकता की कमी, संसाधनों की अनुपलब्धता और प्रशासनिक लापरवाही जैसे कारणों से योजनाओं का लाभ हर जरूरतमंद तक नहीं पहुँच पाया है।
  5. क्योंकि एक स्त्री शिक्षित होती है तो वह केवल स्वयं को नहीं बल्कि पूरे परिवार को शिक्षित बनाती है, जिससे समाज सशक्त बनता है।

बहुविकल्पीय प्रश्न:

  1. (ग) आत्मनिर्भरता और सामाजिक बदलाव का साधन
  2. (ख) पूरे परिवार का विकास होता है
  3. (ख) सर्व शिक्षा अभियान
  4. (क) मौलिक अधिकार
  5. (ग) शिक्षकों की योग्यता
  6. (क) A और R दोनों सही हैं और R, A की सही व्याख्या करता है।
  7. (घ) A गलत है, R सही है।
गद्यांश 6: स्वतंत्रता संग्राम
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की सबसे बड़ी विशेषता क्या थी? यह संघर्ष केवल अंग्रेजों के खिलाफ सैनिक युद्ध था। आज़ादी मिलने के बाद लोगों ने संघर्ष की भावना को पूरी तरह याद रखा। (विस्तृत पाठ हेतु कृपया अपनी पुस्तक देखें या ऊपर दिए गए पाठ को पढ़ें)

अभ्यास प्रश्न

1. लघुत्तरीय प्रश्न (7 अंक)
2. बहुविकल्पीय प्रश्न (7 अंक)

उत्तर देखें (Click to Show Answers)

लघुत्तरीय प्रश्न:

  1. इसकी सबसे बड़ी विशेषता यह थी कि इसमें हर वर्ग, धर्म, भाषा-समूह और क्षेत्र के लोगों ने भाग लिया।
  2. (ग) A सही है पर R गलत है।
  3. (क) A और R दोनों सही हैं तथा R, A की सही व्याख्या है।
  4. महिलाओं ने स्वतंत्रता संग्राम में प्रेरणादायक भूमिका निभाई। उन्होंने न केवल रैलियों में भाग लिया बल्कि कई बार नेतृत्व भी संभाला और जेल जाने से भी नहीं झिझकीं।
  5. इस संघर्ष के दौरान अस्पृश्यता, बाल विवाह, स्त्री शिक्षा जैसी सामाजिक कुरीतियों पर भी विचार हुआ और जागरूकता फैली।

बहुविकल्पीय प्रश्न:

  1. (ग) एक जनांदोलन
  2. (ग) सरकारी नौकरियों और स्कूलों का बहिष्कार किया
  3. (ग) जेल जाना स्वीकार किया
  4. (ग) नेतृत्वकारी और प्रेरणादायक
  5. (ग) बाल विवाह और स्त्री शिक्षा
  6. (क) A और R दोनों सही हैं तथा R, A की सही व्याख्या है।
  7. (घ) A और R दोनों गलत हैं।
गद्यांश 7: भारतीय कृषि
भारत एक कृषि प्रधान देश है। यहाँ की अधिकांश जनसंख्या कृषि पर निर्भर है। कृषि न केवल भोजन और कच्चे माल का प्रमुख स्रोत है, बल्कि यह करोड़ों लोगों की आजीविका का माध्यम भी है। कृषि क्षेत्र का विकास देश की आर्थिक उन्नति के लिए अत्यंत आवश्यक है। स्वतंत्रता के बाद से लेकर अब तक इस क्षेत्र में कई सुधार हुए हैं – जैसे हरित क्रांति, श्वेत क्रांति, सिंचाई परियोजनाएँ, कृषि ऋण योजनाएँ आदि, जिनका उद्देश्य किसानों की स्थिति को बेहतर बनाना और कृषि उत्पादन में वृद्धि करना रहा है। परंतु आज भी अनेक समस्याएँ इस क्षेत्र में बनी हुई हैं। सिंचाई की पर्याप्त व्यवस्था न होना, समय पर खाद और बीज न मिल पाना, फसलों का उचित मूल्य न मिलना, बिचौलियों की लूट और प्राकृतिक आपदाओं से फसल का नष्ट होना – ये सभी किसान की कठिनाइयाँ हैं। इसके अलावा किसानों में आधुनिक कृषि तकनीक की जानकारी का अभाव और शिक्षा की कमी भी एक बड़ी समस्या है। परिणामस्वरूप, किसान कर्ज में डूबते चले जाते हैं और कई बार आत्महत्या जैसे घातक कदम भी उठा लेते हैं। सरकार ने किसानों की मदद के लिए अनेक योजनाएँ बनाई हैं – जैसे प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि, किसान क्रेडिट कार्ड, फसल बीमा योजना आदि। परंतु इन योजनाओं का लाभ कई बार भ्रष्टाचार, अव्यवस्था या जागरूकता की कमी के कारण सभी किसानों तक नहीं पहुँच पाता। जरूरत इस बात की है कि किसानों को शिक्षित किया जाए, आधुनिक तकनीकों की जानकारी दी जाए और उन्हें कृषि उत्पादों के उचित मूल्य मिलें। किसानों को केवल सहायता का पात्र न मानकर राष्ट्र निर्माता के रूप में देखा जाना चाहिए। जब देश का किसान खुशहाल होगा तभी भारत आत्मनिर्भर और सशक्त बन पाएगा।
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लघुत्तरीय प्रश्न:

  1. क्योंकि अधिकांश जनसंख्या कृषि पर निर्भर है।
  2. हरित क्रांति, किसान क्रेडिट कार्ड, फसल बीमा योजना आदि।
  3. सिंचाई की कमी, उचित मूल्य न मिलना, कर्ज आदि।
  4. अत्यधिक कर्ज और प्राकृतिक आपदाएँ।
  5. भारत आत्मनिर्भर और सशक्त बनेगा।
  6. (क) A और R दोनों सही हैं और R, A की सही व्याख्या करता है।
  7. (घ) A गलत है, R सही है।

बहुविकल्पीय प्रश्न:

  1. (ग) कृषि पर
  2. (ग) फसल उत्पादन में वृद्धि
  3. (ख) ऋण का बोझ
  4. (ख) शिक्षा और तकनीकी जानकारी
  5. (क) आत्मनिर्भर होगा
  6. (क) A और R दोनों सही हैं और R, A की सही व्याख्या करता है।
  7. (घ) A और R दोनों गलत हैं।
गद्यांश 8: महिला सशक्तिकरण
भारत में महिलाओं की स्थिति में समय के साथ काफी परिवर्तन आया है। एक समय था जब महिलाएँ केवल घरेलू कार्यों तक सीमित थीं, लेकिन आज वे समाज के हर क्षेत्र में अपनी भागीदारी सुनिश्चित कर रही हैं। शिक्षा, चिकित्सा, विज्ञान, प्रशासन, राजनीति, रक्षा और अंतरिक्ष जैसे क्षेत्रों में महिलाओं ने अपनी उपस्थिति सिद्ध की है। भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी, अंतरिक्ष में जाने वाली कल्पना चावला, और देश की प्रथम महिला राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल जैसे उदाहरण महिलाओं की शक्ति का प्रतीक हैं। हालाँकि, आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं की स्थिति उतनी सशक्त नहीं है जितनी कि होनी चाहिए। अशिक्षा, बाल विवाह, दहेज प्रथा, घरेलू हिंसा, लैंगिक भेदभाव जैसी समस्याएँ अब भी उनके विकास में बाधक हैं। समाज में व्याप्त इन कुरीतियों को दूर करना न केवल महिलाओं के लिए, बल्कि संपूर्ण देश के विकास के लिए आवश्यक है। सरकार ने महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए अनेक योजनाएँ आरंभ की हैं जैसे- ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’, ‘सुकन्या समृद्धि योजना’, ‘उज्ज्वला योजना’, और ‘महिला हेल्पलाइन’ आदि। इसके अलावा कई गैर-सरकारी संगठन भी इस दिशा में कार्यरत हैं। लेकिन जब तक समाज की सोच में मूलभूत बदलाव नहीं आएगा, तब तक इन प्रयासों का पूर्ण लाभ नहीं मिल पाएगा। महिलाओं को केवल सहानुभूति की नहीं, समान अवसरों की आवश्यकता है। उन्हें आत्मनिर्भर और स्वाभिमानी बनाना ही सच्चे अर्थों में महिला सशक्तिकरण होगा। जब समाज की आधी आबादी मजबूत होगी तभी राष्ट्र प्रगति की दिशा में तेज़ी से आगे बढ़ सकेगा।
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लघुत्तरीय प्रश्न:

  1. शिक्षा, चिकित्सा, राजनीति, अंतरिक्ष आदि क्षेत्रों में।
  2. बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ, सुकन्या समृद्धि योजना, उज्ज्वला योजना आदि।
  3. अशिक्षा, बाल विवाह, दहेज प्रथा, लैंगिक भेदभाव आदि।
  4. समाज की सोच में मूलभूत बदलाव आवश्यक है।
  5. ताकि वे आत्मसम्मान से जीवन जिएँ और दूसरों पर निर्भर न रहें।
  6. (क)
  7. (घ)

बहुविकल्पीय प्रश्न:

  1. (ख) उज्ज्वला योजना
  2. (ग) अंतरिक्ष में जाने वाली भारतीय मूल की महिला
  3. (ख) बाल विवाह
  4. (ग) समान अवसर
  5. (ग) वे किसी की मदद पर निर्भर नहीं रहेंगी।
  6. (क)
  7. (घ)
गद्यांश 9: जलवायु परिवर्तन
जलवायु परिवर्तन आज के युग की सबसे गंभीर समस्याओं में से एक बन चुका है। इसका प्रभाव केवल पर्यावरण पर ही नहीं, बल्कि वैश्विक अर्थव्यवस्था, मानव स्वास्थ्य और सामाजिक ढाँचे पर भी पड़ा है। वैज्ञानिकों का मानना है कि पिछले सौ वर्षों में धरती का औसत तापमान निरंतर बढ़ा है, जिसके लिए मुख्य रूप से मनुष्य की गतिविधियाँ ज़िम्मेदार हैं। औद्योगीकरण, अत्यधिक ऊर्जा उपयोग, वनों की अंधाधुंध कटाई, और जीवाश्म ईंधन का बढ़ता उपयोग इसके मुख्य कारण हैं। पर्यावरणीय असंतुलन का सबसे प्रमुख परिणाम है – ग्लोबल वॉर्मिंग, जिसकी वजह से ध्रुवों की बर्फ तेजी से पिघल रही है। इसके कारण समुद्र का जलस्तर बढ़ रहा है और तटीय क्षेत्रों के डूबने का खतरा उत्पन्न हो गया है। वहीं दूसरी ओर, अनेक क्षेत्रों में अत्यधिक सूखा और जल संकट उत्पन्न हो चुका है। बदलते मौसम के कारण फसलें प्रभावित हो रही हैं और किसान आत्महत्या जैसे गंभीर कदम उठाने पर विवश हो रहे हैं। विश्व स्तर पर इस समस्या के समाधान के लिए कई कदम उठाए जा रहे हैं। पेरिस समझौता और COP सम्मेलन जैसे वैश्विक मंचों पर देशों ने कार्बन उत्सर्जन को कम करने की दिशा में संकल्प लिए हैं। भारत ने भी राष्ट्रीय सौर मिशन, स्वच्छ ऊर्जा अभियान और प्लास्टिक पर प्रतिबंध जैसी योजनाएँ शुरू की हैं। लेकिन केवल सरकारों की कोशिशें काफी नहीं होंगी। जब तक आम नागरिक अपने जीवन में पर्यावरण-अनुकूल आदतें नहीं अपनाएँगे, तब तक कोई ठोस परिवर्तन संभव नहीं होगा।
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लघुत्तरीय प्रश्न:

  1. जल, वायु, खनिज, वनस्पति आदि।
  2. जनसंख्या वृद्धि और औद्योगीकरण।
  3. भविष्य की पीढ़ियाँ संकट में पड़ सकती हैं।
  4. प्लास्टिक पर प्रतिबंध, स्वच्छ भारत मिशन।
  5. इससे परिणाम अधिक सकारात्मक और स्थायी होते हैं।
  6. (ग) A सही है, R गलत है।
  7. (घ) A गलत है, R सही है।

बहुविकल्पीय प्रश्न:

  1. (ग) जनसंख्या वृद्धि, औद्योगीकरण और शहरीकरण
  2. (ग) ग्लेशियर
  3. (ग) पर्यावरण शिक्षा अनिवार्य की गई है
  4. (ख) गंदगी और कचरे की सफाई
  5. (ग) सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय लाभ के लिए
  6. (क) A और R दोनों सही हैं और R, A की सही व्याख्या करता है।
  7. (घ) A गलत है, R सही है।
गद्यांश 10: संचार माध्यम
आज के युग में संचार माध्यमों की भूमिका अत्यंत महत्त्वपूर्ण हो गई है। चाहे वह अख़बार हो, रेडियो, टेलीविजन या फिर इंटरनेट – सभी ने जनमानस को जागरूक करने, जानकारी पहुँचाने और सामाजिक चेतना को बढ़ाने में विशिष्ट योगदान दिया है। तकनीक के बढ़ते प्रयोग ने सूचना के प्रवाह को तीव्र कर दिया है, जिससे दूरस्थ क्षेत्रों में भी लोग अब वैश्विक घटनाओं से अनभिज्ञ नहीं रहते। वर्तमान समय में इंटरनेट और सोशल मीडिया जैसे मंचों ने जहाँ लोगों को अपने विचार प्रकट करने की आज़ादी दी है, वहीं इसके दुरुपयोग ने कई समस्याओं को भी जन्म दिया है। फर्जी समाचार, अफवाहें, साइबर अपराध, और निजता का उल्लंघन – ये सब ऐसे मुद्दे हैं जिनसे आज समाज जूझ रहा है। सूचना का स्रोत जितना सशक्त हुआ है, उतनी ही ज़रूरत हो गई है कि लोग उसे विवेकपूर्ण ढंग से ग्रहण करें। यह भी देखा गया है कि जनसंचार के माध्यमों का उपयोग सामाजिक सुधार के लिए भी किया गया है। स्वच्छ भारत अभियान, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ और कोविड-19 से जुड़ी जागरूकता जैसी योजनाओं को जन-जन तक पहुँचाने में इन माध्यमों की भूमिका अत्यंत प्रभावशाली रही है। विज्ञापनों, नुक्कड़ नाटकों, रेडियो कार्यक्रमों और डिजिटल अभियानों के माध्यम से नागरिकों को जागरूक किया गया है। हालाँकि, यह भी ध्यान देने योग्य है कि मीडिया की स्वतंत्रता के साथ-साथ उसकी जिम्मेदारी भी बढ़ जाती है। समाचारों की सत्यता, निष्पक्षता और संतुलन बनाए रखना किसी भी स्वस्थ लोकतंत्र के लिए आवश्यक है।
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लघुत्तरीय प्रश्न:

  1. समाज को जागरूक करने, जानकारी देने और चेतना बढ़ाने में योगदान देते हैं।
  2. फर्जी समाचार और साइबर अपराध।
  3. इन अभियानों की जानकारी जन-जन तक पहुँचाने में अहम भूमिका निभाई।
  4. समाचारों की सत्यता और निष्पक्षता।
  5. सूचना का विवेकपूर्ण चयन करना चाहिए।
  6. (ग) A सही है, R गलत है।
  7. (क) A और R दोनों सही हैं और R, A की सही व्याख्या करता है।

बहुविकल्पीय प्रश्न:

  1. (ग) आर्थिक मंदी का समाधान
  2. (ग) तकनीकी प्रगति
  3. (ख) साइबर अपराध
  4. (ग) जनसंचार
  5. (ग) सत्य व निष्पक्ष समाचार देना
  6. (क) A और R दोनों सही हैं और R, A की सही व्याख्या करता है।
  7. (ग) A सही है, R गलत है।
गद्यांश 11: भारतीय संस्कृति
भारतीय संस्कृति विश्व की प्राचीनतम संस्कृतियों में से एक है, जिसकी विशेषता इसकी बहुलता में एकता है। यहाँ विविध भाषाएँ, धर्म, रीति-रिवाज, पहनावे, खानपान और जीवनशैली होते हुए भी सभी भारतीय एक सूत्र में बंधे हुए हैं। यह संस्कृति सहिष्णुता, सह-अस्तित्व और आपसी सम्मान की नींव पर आधारित रही है। भारत ने न केवल अपने भीतर की विविधताओं को अपनाया, बल्कि बाहर से आए अनेक संस्कृतिक प्रभावों को भी आत्मसात किया है। विभिन्न कालखंडों में भारत ने बौद्ध, जैन, इस्लामिक, यूरोपीय और आधुनिक विचारों को अपने समाज में जगह दी और इन्हें अपने स्वरूप के अनुसार ढाला। यही कारण है कि भारतीय संस्कृति एक जीवंत और गतिशील संस्कृति मानी जाती है। यहाँ ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ का सिद्धांत केवल शब्दों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि व्यवहार में भी अपनाया गया है। आधुनिक समय में भले ही वैश्वीकरण और पाश्चात्य प्रभावों ने युवा पीढ़ी को अपनी ओर आकृष्ट किया हो, परंतु फिर भी भारतीय संस्कृति की जड़ें इतनी गहरी हैं कि वे समय-समय पर पुनरुत्थान करती रहती हैं। पारिवारिक मूल्य, बड़ों का सम्मान, आध्यात्मिकता, योग, और सामूहिकता जैसे पहलू आज भी समाज में विद्यमान हैं। हाल के वर्षों में यह देखा गया है कि विभिन्न त्यौहारों, सांस्कृतिक मेलों और अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर भारतीय परंपराएँ गौरव के साथ प्रस्तुत की जा रही हैं। योग दिवस की वैश्विक मान्यता, भारतीय खानपान की लोकप्रियता और बॉलीवुड फिल्मों का अंतरराष्ट्रीय प्रभाव यह दर्शाता है कि भारतीय संस्कृति सीमाओं से परे जाकर लोगों को जोड़ रही है। यद्यपि समय के साथ कुछ नकारात्मक प्रभाव भी पड़े हैं जैसे—पश्चिमी तड़क-भड़क की नकल, पारंपरिक मूल्यों की उपेक्षा, और भौतिकता की ओर झुकाव, परंतु शिक्षा और जागरूकता के माध्यम से युवा वर्ग पुनः अपनी सांस्कृतिक जड़ों की ओर लौटने लगा है।
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लघुत्तरीय प्रश्न:

  1. समाज को जागरूक करने, जानकारी देने और चेतना बढ़ाने में योगदान देते हैं।
  2. (ग) A सही है, R गलत है।
  3. (क) A और R दोनों सही हैं और R, A की सही व्याख्या करता है।
  4. फर्जी समाचार और साइबर अपराध।
  5. इन अभियानों की जानकारी जन-जन तक पहुँचाने में अहम भूमिका निभाई।

बहुविकल्पीय प्रश्न:

  1. (ग) आर्थिक मंदी का समाधान
  2. (ग) तकनीकी प्रगति
  3. (ख) साइबर अपराध
  4. (ग) जनसंचार
  5. (ग) सत्य व निष्पक्ष समाचार देना
  6. (क) A और R दोनों सही हैं और R, A की सही व्याख्या करता है।
  7. (ग) A सही है, R गलत है।
गद्यांश 12: प्राकृतिक संसाधन
प्राकृतिक संसाधनों का विवेकपूर्ण उपयोग मानव अस्तित्व के लिए अत्यंत आवश्यक है। पृथ्वी पर जल, वायु, खनिज, वनस्पति और जीव-जंतु जैसे संसाधन सीमित मात्रा में उपलब्ध हैं। लेकिन आधुनिक समय में बढ़ती जनसंख्या, औद्योगीकरण और शहरीकरण ने इन संसाधनों का अत्यधिक दोहन करना शुरू कर दिया है। यदि यही प्रवृत्ति जारी रही तो आने वाली पीढ़ियों के लिए इन संसाधनों की उपलब्धता संकट में पड़ सकती है। पृथ्वी का तापमान लगातार बढ़ रहा है। ग्लेशियर पिघल रहे हैं, समुद्र का जलस्तर बढ़ रहा है, और प्राकृतिक आपदाओं की संख्या भी बढ़ती जा रही है। यह सब संकेत हैं कि प्रकृति के संतुलन को बिगाड़ा जा चुका है। विकास की अंधी दौड़ में हमने यह भूल किया है कि प्राकृतिक संसाधन केवल उपभोग की वस्तु नहीं हैं, बल्कि वे पृथ्वी के जीवन तंत्र का आधार हैं। सरकारों और अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं द्वारा पर्यावरण संरक्षण हेतु अनेक प्रयास किए गए हैं, जैसे—प्लास्टिक पर प्रतिबंध, हरित ऊर्जा को बढ़ावा, वन संरक्षण कानून, स्वच्छ भारत मिशन आदि। किंतु जब तक आम नागरिकों में पर्यावरण के प्रति जागरूकता नहीं होगी, तब तक कोई भी प्रयास सफल नहीं हो पाएगा। पेड़ लगाना, वर्षा जल संचयन करना, अपशिष्ट प्रबंधन अपनाना और ऊर्जा की बचत करना ऐसे छोटे-छोटे कार्य हैं, जो प्रत्येक व्यक्ति कर सकता है। विद्यालयों में पर्यावरण शिक्षा अनिवार्य की गई है ताकि बचपन से ही बच्चों में प्रकृति के प्रति जिम्मेदारी का भाव उत्पन्न हो। यह भी देखा गया है कि जिन क्षेत्रों में स्थानीय समुदाय पर्यावरणीय कार्यों में भागीदारी निभाते हैं, वहाँ परिणाम अधिक सकारात्मक और स्थायी होते हैं। हमें यह समझना होगा कि संसाधनों का संरक्षण केवल पर्यावरण की दृष्टि से ही नहीं, बल्कि सामाजिक और आर्थिक दृष्टिकोण से भी अनिवार्य है।
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लघुत्तरीय प्रश्न:

  1. जल, वायु, खनिज, वनस्पति आदि।
  2. जनसंख्या वृद्धि और औद्योगीकरण।
  3. भविष्य की पीढ़ियाँ संकट में पड़ सकती हैं।
  4. प्लास्टिक पर प्रतिबंध, स्वच्छ भारत मिशन।
  5. इससे परिणाम अधिक सकारात्मक और स्थायी होते हैं।
  6. (ग) A सही है, R गलत है।
  7. (घ) A गलत है, R सही है।

बहुविकल्पीय प्रश्न:

  1. (ग) जनसंख्या वृद्धि, औद्योगीकरण और शहरीकरण
  2. (ग) ग्लेशियर
  3. (ग) पर्यावरण शिक्षा अनिवार्य की गई है
  4. (ख) गंदगी और कचरे की सफाई
  5. (ग) सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय लाभ के लिए
  6. (क) A और R दोनों सही हैं और R, A की सही व्याख्या करता है।
  7. (घ) A गलत है, R सही है।
गद्यांश 13: विविधता में एकता
भारतीय संस्कृति की सबसे बड़ी विशेषता इसकी विविधता में एकता है। यहाँ विभिन्न धर्म, जातियाँ, भाषाएँ, वेशभूषाएँ, और जीवन पद्धतियाँ पाई जाती हैं, लेकिन फिर भी सब में एक अदृश्य सांस्कृतिक सूत्र जुड़ा हुआ है। यह सूत्र है सहिष्णुता, मेलजोल और परस्पर सम्मान का। भारत के कोने-कोने में अलग-अलग प्रकार की परंपराएँ और उत्सव मनाए जाते हैं, किंतु सभी में प्रेम, सद्भाव और मानवता की भावना अंतर्निहित होती है। प्राचीन काल से ही भारत ने ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ अर्थात ‘सारा विश्व एक परिवार है’ की भावना को आत्मसात किया है। यही कारण है कि विभिन्न सभ्यताओं और संस्कृतियों ने भारत में आकर अपने लिए स्थान बनाया और इसे समृद्ध किया। चाहे वह यूनानी हों, शक हों, या मुगल, भारत ने सभी को अपनाया और उनसे कुछ न कुछ ग्रहण किया। इस कारण भारतीय संस्कृति में व्यापकता और लचीलापन दोनों मौजूद हैं। भारतीय दर्शन भी इस एकता का संदेश देता है। उपनिषदों से लेकर गांधीजी तक, सभी ने सत्य, अहिंसा, करुणा और समानता को महत्व दिया है। यही कारण है कि भारतीय समाज में एक-दूसरे के मत और विश्वास के प्रति सम्मान की भावना बनी रहती है। कभी-कभी सामाजिक स्तर पर टकराव होते हैं, पर वे हमारी परंपरा नहीं, बल्कि सामाजिक जागरूकता की कमी के कारण होते हैं। आज के वैश्विक युग में, जब अनेक देश सांस्कृतिक संघर्षों से गुजर रहे हैं, भारत का यह बहुलतावादी दृष्टिकोण एक आदर्श बन सकता है। लेकिन इसके लिए यह आवश्यक है कि हम अपनी संस्कृति की इस विशेषता को समझें और इसे दैनिक जीवन में आत्मसात करें।
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लघुत्तरीय प्रश्न:

  1. भारत में विविधता को उसकी शक्ति और पहचान के रूप में देखा जाता है।
  2. (घ) A और R दोनों गलत हैं।
  3. (क) A और R दोनों सही हैं तथा R, A की सही व्याख्या करता है।
  4. ये मतभेद समाज में वैमनस्य, असहिष्णुता और एकता की कमी को जन्म देते हैं।
  5. व्यक्ति को सहिष्णुता, संवाद और समावेशी सोच को अपनाकर समाज में एकता को बढ़ावा देना चाहिए।

बहुविकल्पीय प्रश्न:

  1. (ख) दुनिया एक परिवार है
  2. (ग) विविधता में एकता
  3. (ग) थैंक्सगिविंग
  4. (ख) समानता, स्वतंत्रता और भाईचारा
  5. (घ) असहिष्णुता
  6. (ग) A सही है, R गलत है।
  7. (घ) A और R दोनों गलत हैं।
गद्यांश 14: परिश्रम का महत्त्व
मनुष्य के जीवन में परिश्रम का अत्यधिक महत्त्व है। यह एक ऐसी कुंजी है, जिससे सफलता का हर ताला खोला जा सकता है। इतिहास गवाह है कि संसार में जितने भी महान पुरुष हुए हैं, वे सब परिश्रमी रहे हैं। अब्राहम लिंकन, महात्मा गाँधी, रवीन्द्रनाथ ठाकुर, डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम—इन सबने अपने जीवन की शुरुआत संघर्ष और सीमित साधनों से की, परंतु अपने कठिन परिश्रम और आत्मविश्वास से वह ऊँचाइयों तक पहुँचे। परिश्रम केवल शारीरिक नहीं, मानसिक भी होता है। पढ़ाई करने वाला छात्र, प्रयोगशाला में शोध करता वैज्ञानिक, खेत में हल चलाता किसान और एक गृहिणी—सभी परिश्रमी हैं, बस उनके कार्य अलग-अलग होते हैं। परिश्रम से ही आत्म-सम्मान उत्पन्न होता है। कोई भी कार्य छोटा नहीं होता। यदि ईमानदारी और समर्पण से किया जाए तो साधारण-सा कार्य भी महान बन जाता है। आधुनिक युग में कई लोग सफलता पाने के लिए शॉर्टकट अपनाने लगे हैं। वे परिश्रम से बचने के लिए अनुचित मार्ग चुनते हैं। किंतु वे यह भूल जाते हैं कि बिना मेहनत के मिली सफलता स्थायी नहीं होती। अस्थायी सफलता धोखा भी दे सकती है और समाज में सम्मान भी नहीं दिला सकती। यह भी सत्य है कि परिश्रम करने से थकावट होती है, शरीर थकता है, किंतु मन को संतोष मिलता है। जीवन में यदि सच्ची प्रसन्नता चाहिए तो उसे परिश्रम से ही पाया जा सकता है। जो लोग मेहनत से डरते हैं, वे जीवन में पछताते हैं। सफलता का कोई वैकल्पिक मार्ग नहीं होता। प्रतिभा, संसाधन, संबंध—ये सब परिश्रम के बिना अधूरे हैं। इसलिए हर मनुष्य को अपने कार्य में समर्पित होकर, ईमानदारी और निरंतरता से मेहनत करनी चाहिए। यही सफलता की सबसे सच्ची सीढ़ी है।
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लघुत्तरीय प्रश्न:

  1. यह सफलता की कुंजी है।
  2. (क) A और R दोनों सही हैं और R, A की सही व्याख्या करता है।
  3. (क) A और R दोनों सही हैं और R, A की सही व्याख्या करता है।
  4. प्रयोगशाला में शोध करता वैज्ञानिक।
  5. स्थायी नहीं होती, धोखा भी दे सकती है।

बहुविकल्पीय प्रश्न:

  1. (ख) सफलता की कुंजी
  2. (ग) दोनों ने परिश्रम से सफलता पाई
  3. (ग) शारीरिक
  4. (ग) धोखे से
  5. (ग) परिश्रम से
  6. (क) A और R दोनों सही हैं और R, A की सही व्याख्या करता है।
  7. (क) A और R दोनों सही हैं और R, A की सही व्याख्या करता है।
गद्यांश 15: आत्मनिर्भरता
भारतीय संस्कृति में आत्मनिर्भरता को अत्यंत महत्त्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। ‘स्वावलंबन’ न केवल एक आर्थिक अवधारणा है, बल्कि यह मानसिक, सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी एक महत्वपूर्ण मूल्य है। ऋषि-मुनियों के आश्रमों में विद्यार्थियों को आरंभ से ही अपने कार्य स्वयं करने की शिक्षा दी जाती थी। उनका उद्देश्य केवल ज्ञान प्रदान करना नहीं था, बल्कि एक ऐसा संतुलित व्यक्तित्व गढ़ना था जो आत्मनिर्भर, संयमी और समाज के प्रति उत्तरदायी हो। आज के युग में, जब तकनीक और संसाधनों की बहुलता है, फिर भी लोग आत्मनिर्भरता से दूर होते जा रहे हैं। छोटे-छोटे कार्यों के लिए भी हम दूसरों पर निर्भर रहने लगे हैं। बच्चों को विद्यालयों में शिक्षा तो दी जाती है, परंतु जीवन कौशल जैसे—खाना बनाना, समय प्रबंधन, निर्णय लेने की क्षमता, और सामाजिक उत्तरदायित्व की समझ—इनकी शिक्षा अक्सर उपेक्षित रह जाती है। इससे वे मानसिक रूप से कमज़ोर हो जाते हैं और चुनौतियों का सामना करने में कठिनाई होती है। ‘आत्मनिर्भर भारत’ का सपना केवल आर्थिक या औद्योगिक आत्मनिर्भरता तक सीमित नहीं होना चाहिए। यह एक व्यापक विचार है, जिसमें हर नागरिक मानसिक, सामाजिक, शारीरिक और आर्थिक रूप से स्वतंत्र एवं सक्षम बने। यह तभी संभव है जब हम शिक्षा प्रणाली को इस प्रकार ढालें कि वह केवल अकादमिक ज्ञान न दे, बल्कि जीवन को सशक्त बनाने वाली योग्यताएँ भी प्रदान करें।
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लघुत्तरीय प्रश्न:

  1. क्योंकि यह केवल आर्थिक नहीं, मानसिक, सामाजिक और सांस्कृतिक मूल्य भी है।
  2. (क) A और R दोनों सही हैं और R, A की सही व्याख्या करता है।
  3. (घ) A और R दोनों गलत हैं।
  4. अपने कार्य स्वयं करने और आत्मनिर्भर बनने की शिक्षा दी जाती थी।
  5. आत्मगौरव और जिम्मेदारी का भाव आता है।

बहुविकल्पीय प्रश्न:

  1. (ग) मानसिक, सामाजिक व आर्थिक रूप से सक्षम होना
  2. (घ) संतुलित व्यक्तित्व का निर्माण करना
  3. (क) संसाधनों की अधिकता के कारण
  4. (ग) बहुआयामी
  5. (ख) वह आत्मगौरव से भर उठता है और समाज को प्रेरित करता है।
  6. (क) A और R दोनों सही हैं और R, A की सही व्याख्या करता है।
  7. (ग) A सही है, R गलत है।
गद्यांश 16: स्वास्थ्य
स्वास्थ्य जीवन की सबसे बड़ी पूँजी है। जब तक शरीर स्वस्थ है, तब तक जीवन की सारी संभावनाएँ खुली रहती हैं। परंतु जैसे ही शरीर किसी रोग के कारण दुर्बल होता है, वैसे ही मनुष्य की ऊर्जा, उत्साह और कर्मठता सब धीमी पड़ जाती है। वर्तमान युग में जीवन की गति तेज हो गई है, और साथ ही बढ़ा है मानसिक तनाव, अव्यवस्थित दिनचर्या, और असंतुलित भोजन। इन सभी ने मिलकर व्यक्ति की सेहत को गंभीर संकट में डाल दिया है। स्वास्थ्य केवल रोगों की अनुपस्थिति नहीं है, बल्कि यह एक पूर्ण शारीरिक, मानसिक और सामाजिक कल्याण की स्थिति है। योग, प्राणायाम, संतुलित आहार और सकारात्मक सोच – ये स्वास्थ्य के चार मजबूत स्तंभ हैं। परंतु आज के समय में हम इनमें से किसी भी पहलू पर गंभीर ध्यान नहीं देते। व्यस्तता की आड़ में लोग न तो समय पर भोजन करते हैं, न ही पर्याप्त नींद लेते हैं और न ही अपने शरीर को सक्रिय रखने के लिए व्यायाम करते हैं। विद्यालयों में स्वास्थ्य शिक्षा का अभाव भी एक बड़ी समस्या है। बच्चों को बचपन से ही यह सिखाया जाना चाहिए कि अच्छा स्वास्थ्य केवल शरीर की मजबूती नहीं है, बल्कि यह मानसिक और भावनात्मक स्थिरता का भी आधार है।
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लघुत्तरीय प्रश्न:

  1. क्योंकि जब तक शरीर स्वस्थ है, तब तक जीवन की सभी संभावनाएँ खुली रहती हैं।
  2. (क) A और R दोनों सही हैं और R, A की सही व्याख्या करता है।
  3. (क) A और R दोनों सही हैं और R, A की सही व्याख्या करता है।
  4. मानसिक तनाव, अव्यवस्थित दिनचर्या और असंतुलित भोजन।
  5. ये शरीर को सक्रिय रखते हैं और मानसिक शांति प्रदान करते हैं।

बहुविकल्पीय प्रश्न:

  1. (घ) शारीरिक, मानसिक और सामाजिक कल्याण
  2. (ख) तनाव
  3. (ग) जंक फूड
  4. (ख) स्वास्थ्य और जीवन कौशल
  5. (ग) असमय भोजन
  6. (क) A और R दोनों सही हैं और R, A की सही व्याख्या करता है।
  7. (घ) A और R दोनों गलत हैं।